इस ब्लॉग में हम वैधुत विभव (Electric Potential) और संधारित्र/धारिता (Capacitance) के बारे में जानेंगे।
वैधुत विभव किसी बिंदु पर 1 कुलॉम आवेश को अनंत से लाने में किए गए कार्य को दिखाता है।
संधारित्र वह उपकरण है जिसमें आवेश और ऊर्जा संग्रहित की जा सकती है।
इस Chapter में संधारित्रों की धारिता, ऊर्जा, डाइलेक्ट्रिक प्रभाव, और संयोजन (श्रृंखला/समांतर) को समझाया गया है।
कृपया ध्यान से पढ़े, और नोट करे, और हमारे वेबसाइट पर रोजाना विजिट करते रहे।
पहला चरण : 50 वस्तुनिष्ट प्रश्न (Objectives Q&A)
प्रश्न 1. वैधुत विभव का मात्रक क्या होता है?
उत्तर: वोल्ट (Volt)
प्रश्न 2. 1 वोल्ट को परिभाषित किया जाता है?
उत्तर: 1 वोल्ट = 1 जूल प्रति कुलॉम
प्रश्न 3. बिंदु आवेश q का r दूरी पर विभव क्या होगा?
उत्तर: V = kq/r
प्रश्न 4. वैधुत विभव किस प्रकार की राशि है?
उत्तर: अदिश राशि
प्रश्न 5. वैधुत क्षेत्र और विभव में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर: E = – dV/dr
प्रश्न 6. विभवांतर का मात्रक होता है?
उत्तर: वोल्ट (V)
प्रश्न 7. किसी बिंदु पर 1 कुलॉम आवेश ले जाने में किया गया काम को क्या कहते है?
उत्तर: वैधुत विभव
प्रश्न 8. शून्य स्थान में 1 कुलॉम आवेश को अनंत से 1 मीटर दूरी पर लाने में कितनी ऊर्जा होगी?
उत्तर: 9 × 10⁹ जूल (J)
प्रश्न 9. समांतर पटल संधारित्र की धारिता का सूत्र बताये।
उत्तर: C = ε₀A/d
प्रश्न 10. धारिता का SI मात्रक क्या है?
उत्तर: फैराड (F)
प्रश्न 11. 1 फैराड = ?
उत्तर: 1 कुलॉम / 1 वोल्ट
प्रश्न 12. यदि प्लेटों के बीच डाइलेक्ट्रिक हो तो धारिता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर: धारिता बढ़ जाती है।
प्रश्न 13. विभव सतह पर वैधुत क्षेत्र की दिशा कैसी होती है?
उत्तर: लंबवत (Normal)
प्रश्न 14. विभव सतह पर सभी बिंदुओं का विभव कैसा होता है?
उत्तर: समान
प्रश्न 15. पृथ्वी का विभव कितना होता है?
उत्तर: शून्य
प्रश्न 16. दो समानांतर प्लेटों के बीच वैधुत क्षेत्र कैसा होता है?
उत्तर: समान (Uniform)
प्रश्न 17. बैटरी से जुड़े संधारित्र की प्लेटों पर आवेश किसके द्वारा आता है?
उत्तर: प्रेरण द्वारा
प्रश्न 18. धारिता निर्भर करती है?
उत्तर: प्लेटों का क्षेत्रफल, दूरी तथा डाइलेक्ट्रिक नियतांक पर
प्रश्न 19. पृथ्वी को किस प्रकार का संधारित्र माना जाता है?
उत्तर: गोलाकार संधारित्र
प्रश्न 20. वैधुत ऊर्जा का सूत्र लिखिए।
उत्तर: U = ½ CV²
प्रश्न 21. समांतर पटल संधारित्र में क्षेत्र बढ़ाने पर धारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: धारिता बढ़ेगी
प्रश्न 22. संधारित्र की धारिता प्लेटों की दूरी पर कैसे निर्भर करती है?
उत्तर: दूरी बढ़ने पर धारिता घट जाती है
प्रश्न 23. 1 μF = ?
उत्तर: 10⁻⁶ F
प्रश्न 24. विभव का अदिश स्वरूप क्यों है?
उत्तर: क्योंकि इसको केवल परिमाण से व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 25. संधारित्र का उपयोग कहाँ होता है?
उत्तर: ऊर्जा संचयन, रेडियो, टेलीविजन, फिल्टर आदि में
प्रश्न 26. चालक सतह पर विभव कैसा होता है?
उत्तर: समान
प्रश्न 27. चालक सतह के बाहर वैधुत क्षेत्र की दिशा कैसी होती है?
उत्तर: सतह पर लंबवत
प्रश्न 28. विभवांतर किसे कहते हैं?
उत्तर: दो बिंदुओं पर विभव का अंतर
प्रश्न 29. यदि E = 10 V/m और दूरी 2 m हो तो विभवांतर होगा?
उत्तर: 20 V
प्रश्न 30. 1 कुलॉम आवेश को 12 वोल्ट विभवांतर पर ले जाने में किया गया कार्य?
उत्तर: 12 जूल
प्रश्न 31. किसी बिंदु पर विभव शून्य होने का क्या अर्थ है?
उत्तर: उस बिंदु पर शुद्ध कार्य शून्य है
प्रश्न 32. समानांतर पटल संधारित्र में डाइलेक्ट्रिक डालने से E पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: E = E₀/K, अर्थात घटेगा
प्रश्न 33. विभव और ऊर्जा में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर: V = W/q
प्रश्न 34. वैधुत क्षेत्र की इकाई बताइए।
उत्तर: न्यूटन/कुलॉम
प्रश्न 35. दो आवेश q₁ और q₂ के बीच विभव ऊर्जा?
उत्तर: U = k q₁q₂/r
प्रश्न 36. 1 pF = ?
उत्तर: 10⁻¹² F
प्रश्न 37. संधारित्र की प्लेटों पर आवेश का सूत्र?
उत्तर: Q = CV
प्रश्न 38. वैधुत विभव किस पर निर्भर करता है?
उत्तर: आवेश और दूरी पर
प्रश्न 39. गोलाकार संधारित्र की धारिता का सूत्र?
उत्तर: C = 4πε₀ ab/(b–a)
प्रश्न 40. अकेले गोले की धारिता होती हैं?
उत्तर: C = 4πε₀r
प्रश्न 41. विद्युतस्थैतिक में कार्य का पथ पर निर्भरता कैसी होती है?
उत्तर: पथ से स्वतंत्र
प्रश्न 42. वैधुत विभव की विमीय सूत्र?
उत्तर: [ML²T⁻³A⁻¹]
प्रश्न 43. वैधुत ऊर्जा घनत्व का सूत्र?
उत्तर: U = ½ ε₀E²
प्रश्न 44. बैटरी से जुड़े संधारित्र की प्लेटों पर आवेश बढ़ता है क्यों?
उत्तर: क्योंकि बैटरी विभव स्थिर रखती है
प्रश्न 45. दो संधारित्र श्रेणीक्रम (series) में जोड़ने पर समतुल्य धारिता?
उत्तर: 1/C = 1/C₁ + 1/C₂
प्रश्न 46. दो संधारित्र समांतर क्रम (parallel) में जोड़ने पर समतुल्य धारिता?
उत्तर: C = C₁ + C₂
प्रश्न 47. विभवांतर शून्य होने पर आवेश का प्रवाह कैसा होगा?
उत्तर: कोई प्रवाह नहीं होगा
प्रश्न 48. संधारित्र डिस्चार्ज होने होने पर क्या होगा?
उत्तर: प्लेटों का आवेश बाहर निकल जाता है
प्रश्न 49. संधारित्र का प्रतीक चिह्न कैसा होता है?
उत्तर: दो समानांतर रेखाएँ
प्रश्न 50. संधारित्र की ऊर्जा कहाँ संचित रहती है?
उत्तर: प्लेटों के बीच वैधुत क्षेत्र में

दूसरा चरण : 50 Subjective Questions & Answer
प्रश्न 1. वैधुत विभव को परिभाषित करें।
उत्तर: किसी बिंदु पर वैधुत विभव उस कार्य को कहते हैं जो अनंत से 1 कुलॉम धनात्मक आवेश को बिना त्वरण के उस बिंदु तक लाने में किया जाए।
प्रश्न 2. बिंदु आवेश के कारण विभव का सूत्र ज्ञात करे।
उत्तर: V = kq/r, जहाँ k = 1/4πε₀, q = आवेश और r = दूरी।
प्रश्न 3. वैधुत क्षेत्र और विभव के बीच सम्बन्ध बताये।
उत्तर: E = – dV/dr
प्रश्न 4. समांतर पटल संधारित्र की धारिता का सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर: C = ε₀A/d, जहाँ A = क्षेत्रफल, d = प्लेट दूरी।
प्रश्न 5. विभव सतह (Equipotential Surface) की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
•उस पर सभी बिंदुओं का विभव समान होता है।
•वैधुत क्षेत्र उसकी सतह पर लंबवत होता है।
•सतह पर आवेश ले जाने में कोई कार्य नहीं होता।
प्रश्न 6. किसी संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा का सूत्र ज्ञात करे।
उत्तर: U = ½ CV²
प्रश्न 7. श्रेणीक्रम में संधारित्र जोड़ने पर समतुल्य धारिता कैसे प्राप्त होगी?
उत्तर: 1/C = 1/C₁ + 1/C₂ + …
प्रश्न 8. समांतर क्रम में संधारित्र जोड़ने पर समतुल्य धारिता का सूत्र लिखिए।
उत्तर: C = C₁ + C₂ + …Cn
प्रश्न 9. डाइलेक्ट्रिक पदार्थ संधारित्र की धारिता कैसे बढ़ाता है?
उत्तर: वह प्लेटों के बीच वैधुत क्षेत्र कम कर देता है जिससे विभवांतर घट जाता है और धारिता बढ़ जाती है।
प्रश्न 10. चालक सतह पर विभव क्यों समान होता है?
उत्तर: क्योंकि आवेश आपस में पुनःवितरित होकर सतह को समविभव बना देता है।
प्रश्न 11. गोलाकार आवेशित चालक के बाहर विभव का सूत्र बताये।
उत्तर: V = kq/r, जहाँ r ≥ R (R गोले की त्रिज्या है)।
प्रश्न 12. गोलाकार आवेशित चालक के भीतर विभव कैसा होता है?
उत्तर: भीतर सभी बिंदुओं पर विभव समान और सतह के विभव के बराबर होता है।
प्रश्न 13. विभव और विभवांतर में अंतर बताये।
उत्तर: विभव – किसी बिंदु पर अनंत से 1C आवेश लाने में किया गया कार्य।
विभवांतर – दो बिंदुओं के बीच विभव का अंतर।
प्रश्न 14. विभव ऊर्जा को परिभाषित करे।
उत्तर: किसी बिंदु पर आवेश रखने से उसमें संग्रहीत ऊर्जा को विभव ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 15. दो आवेश q₁ और q₂ को r दूरी पर रखने से उत्पन्न विभव ऊर्जा का सूत्र बताये।
उत्तर: U = kq₁q₂/r
प्रश्न 16. समांतर पटल संधारित्र में डाइलेक्ट्रिक डालने पर ऊर्जा कैसे बदलती है (बैटरी जुड़ी रहती है तो)?
उत्तर: C बढ़ने से U = ½ CV² भी बढ़ती है।
प्रश्न 17. समांतर पटल संधारित्र में डाइलेक्ट्रिक डालने पर ऊर्जा कैसे बदलती है (बैटरी को हटाने पर)?
उत्तर: Q = स्थिर रहता है, C बढ़ने पर V घटता है, अतः U घटता है।
प्रश्न 18. संधारित्र को डिस्चार्ज करने का मतलब क्या है?
उत्तर: उसकी प्लेटों से संग्रहीत आवेश को बाहरी परिपथ में प्रवाहित करना।
प्रश्न 19. समांतर पटल संधारित्र का व्यावहारिक उपयोग कहाँ होता है?
उत्तर: रेडियो, टीवी, फिल्टर, ऊर्जा संग्रहण और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में।
प्रश्न 20. विभव सतह पर कार्य क्यों शून्य होता है?
उत्तर: क्योंकि सतह पर सभी बिंदुओं का विभव समान होता है, अतः ΔV = 0, और W = qΔV = 0।
प्रश्न 21. चालक को पोटेंशियल जीरो क्यों माना जाता है जब वह पृथ्वी से जुड़ा हो?
उत्तर: क्योंकि पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है और चालक उससे जुड़कर वही विभव को ले लेता है।
प्रश्न 22. वैधुत क्षेत्र रेखाएँ विभव सतह पर स्पर्शरेखीय क्यों नहीं होतीं?
उत्तर: क्योंकि तब सतह पर आवेश ले जाने में कार्य हो जाएगा, जबकि वहाँ कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 23. बिंदु आवेश प्रणाली की विभव ऊर्जा का सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर: U = Σ Σ (k qᵢ qⱼ / rᵢⱼ), जहाँ i ≠ j।
प्रश्न 24. संधारित्र की धारिता किन तीन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर: प्लेट का क्षेत्रफल, प्लेटों की दूरी, और बीच का डाइलेक्ट्रिक नियतांक।
प्रश्न 25. दो संधारित्रों को समानांतर जोड़ने पर विभवांतर कैसा होगा?
उत्तर: दोनों पर समान।
प्रश्न 26. दो संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर आवेश कैसे रहता है?
उत्तर: दोनों पर समान।
प्रश्न 27. संधारित्र में ऊर्जा कहाँ संग्रहित होती है?
उत्तर: प्लेटों के बीच उत्पन्न वैधुत क्षेत्र में।
प्रश्न 28. गोलाकार संधारित्र का सूत्र बताये।
उत्तर: C = 4πε₀ ab/₀ ab/(b–a), जहाँ a = भीतरी गोले की त्रिज्या, b = बाहरी गोले की त्रिज्या।
प्रश्न 29. अकेले गोले की धारिता क्यों सीमित होती है?
उत्तर: क्योंकि उसके चारों ओर अनंत दूरी तक वैधुत क्षेत्र फैला रहता है।
प्रश्न 30. कैपेसिटर बैंक क्या है?
उत्तर: कई संधारित्रों का समूह जो अधिक ऊर्जा संग्रहण हेतु संयोजन में लगाया जाता है।
प्रश्न 31. चालक सतह पर वैधुत क्षेत्र सदैव लंबवत होता है क्यों?
उत्तर: यदि ऐसा न हो तो सतह पर धारा बहने लगेगी, जो संतुलन की स्थिति में संभव नहीं।
प्रश्न 32. संधारित्र का उपयोग “फिल्टर” में कैसे किया जाता है?
उत्तर: यह A.C. को पास करता है और D.C. को रोकता है।
प्रश्न 33. यदि संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल दोगुना कर दें तो धारिता पर क्या असर होगा?
उत्तर: धारिता भी दोगुनी हो जाएगी।
प्रश्न 34. यदि प्लेटों की दूरी दोगुनी कर दें तो धारिता पर क्या असर होगा?
उत्तर: धारिता भी आधी हो जाएगी।
प्रश्न 35. डाइलेक्ट्रिक नियतांक K की परिभाषा लिखिए।
उत्तर: K = C’/C, जहाँ C’ = डाइलेक्ट्रिक के साथ धारिता, C = निर्वात में धारिता।
प्रश्न 36. सुपर कैपेसिटर क्या है?
उत्तर: अत्यधिक धारिता वाला विशेष संधारित्र, जो बैटरी की तरह ऊर्जा संग्रह करता है।
प्रश्न 37. यदि 10 μF का संधारित्र 50 V से जोड़ा जाए तो उसमें संग्रहित आवेश कितना होगा?
उत्तर: Q = CV = 10 × 10⁻⁶ × 50 = 5 × 10⁻⁴ C
प्रश्न 38. उपरोक्त संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा कितनी होगी?
उत्तर: U = ½ CV² = ½ × 10⁻⁵ × 2500 = 0.0125 J
प्रश्न 39. 1 μF संधारित्र को 200 V पर चार्ज करने पर उसमें कितनी ऊर्जा संग्रहित होगी?
उत्तर: U = ½ × 10⁻⁶ × 200² = 0.02 J
प्रश्न 40. गोलाकार चालक पर कुल आवेश Q हो तो सतह का विभव कितना होगा?
उत्तर: V = kQ/R
प्रश्न 41. संधारित्र को चार्ज करने की प्रक्रिया बताये?
उत्तर: बैटरी से जोड़ने पर एक प्लेट पर धन आवेश और दूसरी पर ऋण आवेश आ जाता है।
प्रश्न 42. संधारित्र में आवेश और विभव का सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर: Q = CV
प्रश्न 43. समानांतर पटल संधारित्र का प्रयोग विद्युत क्षेत्र मापने में कैसे किया जा सकता है?
उत्तर: E = V/d, यहाँ V = CV/Q, इनसे E ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 44. कैपेसिटर डिस्चार्ज के दौरान धारा किस दिशा में बहती है?
उत्तर: ऋणात्मक प्लेट से धनात्मक प्लेट की ओर। यानी + से – की ओर।
प्रश्न 45. संयोजित ऊर्जा घनत्व (Energy density) का सूत्र लिखिए।
उत्तर: u = ½ ε₀E²
प्रश्न 46. ऊर्जा घनत्व का मात्रक क्या है?
उत्तर: जूल प्रति घन मीटर (J/m³)
प्रश्न 47. यदि एक ही बैटरी से दो संधारित्र अलग-अलग जोड़े जाएँ तो दोनों पर विभव कैसे होगा?
उत्तर: दोनों पर बैटरी का ही विभव होगा।
प्रश्न 48. यदि एक ही आवेश दो संधारित्रों पर रख दिया जाए तो विभवांतर कैसा होगा?
उत्तर: विभव उनके धारिता के व्युत्क्रमानुपाती होगा।
प्रश्न 49. वैधुत क्षेत्र और विभव का प्रयोग कर किसे सिद्ध किया जा सकता है?
उत्तर: कार्य का पथ से स्वतंत्र होना।
प्रश्न 50. संक्षेप में बताइए कि “संधारित्र की आवश्यकता क्यों है?”
उत्तर: संधारित्र ऊर्जा संग्रहण, विभव स्थिरीकरण, धारा को नियंत्रित करने, तथा इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में आवश्यक भूमिका निभाता है।

तीसरा चरण : स्थिरवैधुत विभव तथा धारिता से जुड़े 30 महत्त्वपूर्ण सूत्र ( Formulas)
🔹 वैधुत विभव और ऊर्जा से सम्बन्धित
बिंदु आवेश q का r दूरी पर विभव
𝑉=14𝜋𝜀0⋅𝑞𝑟
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर
Δ𝑉=−∫𝐸⋅𝑑𝑟
वैधुत क्षेत्र और विभव का सम्बन्ध
𝐸=−𝑑𝑉𝑑𝑟
दो आवेशों q₁ और q₂ की विभव ऊर्जा
𝑈=14𝜋𝜀0⋅𝑞1𝑞2𝑟
आवेश q को अनंत से V विभव वाले बिंदु तक लाने में कार्य
𝑊=𝑞𝑉
🔹 धारिता (Capacitance) से
धारिता की परिभाषा
𝐶=𝑄𝑉
धारिता का मात्रक
1 फैराड=
1 कुलॉम/1 वोल्ट
समांतर पटल संधारित्र की धारिता
𝐶=𝜀0𝐴𝑑
डाइलेक्ट्रिक के साथ धारिता
𝐶=𝐾𝜀0𝐴𝑑
गोलाकार संधारित्र की धारिता (भीतरी a, बाहरी b)
𝐶=4𝜋𝜀0⋅𝑎𝑏𝑏−𝑎
अकेले गोले की धारिता (त्रिज्या r)
𝐶=4𝜋𝜀0𝑟
श्रृंखला क्रम (Series) में संधारित्र की समतुल्य धारिता
1𝐶=1/𝐶1+1/𝐶2+…1/Cn
समानांतर क्रम (Parallel) में संधारित्र की समतुल्य धारिता
𝐶=𝐶1+𝐶2+…
संधारित्र की प्लेटों पर आवेश
𝑄=𝐶𝑉
🔹 ऊर्जा सम्बन्धी सूत्र
संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा
𝑈=12𝐶𝑉2
संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा (आवेश से)
𝑈=12⋅𝑄2𝐶
संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा (क्षेत्रफल से)
𝑈=12𝑄𝑉
QV
ऊर्जा घनत्व (Energy Density)
𝑢=12𝜀0𝐸2
E और V का सम्बन्ध समांतर प्लेटों के लिए
𝐸=𝑉𝑑
🔹 डाइलेक्ट्रिक से सम्बन्धित
डाइलेक्ट्रिक नियतांक की परिभाषा
𝐾=𝐶′𝐶
डाइलेक्ट्रिक में वैधुत क्षेत्र
𝐸=𝐸0𝐾
ध्रुवण (Polarisation)
𝑃=𝑞𝐴
🔹 विविध सूत्र
गोलाकार चालक के बाहर वैधुत क्षेत्र
𝐸=14𝜋𝜀0⋅𝑄𝑟2
गोलाकार चालक के बाहर विभव
𝑉=14𝜋𝜀0⋅𝑄𝑟,𝑟≥𝑅
गोलाकार चालक के भीतर विभव
𝑉=14𝜋𝜀0⋅𝑄𝑅,𝑟≤𝑅
संधारित्र में विस्थापन धारा
𝐼𝑑=𝜀0𝑑Φ𝐸𝑑𝑡
प्लेटों के बीच सतही आवेश घनत्व
𝜎=𝑄𝐴
सतही आवेश घनत्व और वैधुत क्षेत्र का सम्बन्ध
𝐸=𝜎𝜀0
विभव का विमीय सूत्र
[𝑉]=[𝑀𝐿^2𝑇^−3𝐴^−1]

चौथा चरण: महत्वपूर्ण बिंदुये ( Important Points )
वैद्युत विभव (Electric Potential) – किसी बिंदु पर एकक धनात्मक आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य को, उस बिंदु का वैद्युत विभव कहलाता है।
वैद्युत विभव की मात्रक (Unit) → वोल्ट (Volt, V)।
1 V = 1 जूल/कूलॉम।
वैद्युत विभव एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।
विभवांतर (Potential Difference) = किसी बिंदु पर प्रति इकाई आवेश पर किया गया कार्य।
अनंत दूरी पर विभव = शून्य माना जाता है।
बिंदु आवेश के कारण विभव : 𝑉=14𝜋𝜖0⋅𝑞𝑟
V=
दो बिंदु आवेशों के कारण विभव → बीजगणितीय जोड़ से प्राप्त होता है (Superposition Principle)।
वैद्युत क्षेत्र (E) और विभव (V) का संबंध : 𝐸=−𝑑𝑉/𝑑𝑟
विभव हमेशा संधारित्र प्लेटों पर समान होता है।
समविभव सतह (Equipotential Surface) → वह सतह जहाँ हर बिंदु का विभव समान होता है।
समविभव सतह पर किया गया कार्य शून्य होता है।
समविभव सतह हमेशा वैद्युत क्षेत्र रेखाओं के लम्बवत (⊥) होती है।
वैद्युत द्विध्रुव (Electric Dipole) → दो बराबर और विपरीत आवेशों का छोटा अंतराल।
द्विध्रुव आघूर्ण (Dipole Moment, p) = q × 2a
(a = आधा दूरी, q = आवेश)।
द्विध्रुव आघूर्ण एक सदिश राशि है।
द्विध्रुव के कारण अक्षीय बिंदु पर विभव : 𝑉=14𝜋𝜖0⋅𝑝cos𝜃𝑟2
संधारित्र (Capacitor) → ऐसा यंत्र जिसमें आवेश/ऊर्जा संग्रहित की जाती है।
संधारित्र की धारिता (Capacitance) :
𝐶=𝑞𝑉
धारिता की SI इकाई → फैराड (Farad, F)।
1 फैराड = 1 कूलॉम/वोल्ट।
संधारित्र की धारिता केवल उसकी संरचना (plate area, distance, dielectric) पर निर्भर करती है, न कि आवेश पर।
समांतर पटल संधारित्र (Parallel Plate Capacitor) की धारिता : 𝐶=𝜖0𝐴𝑑
यदि डाइइलेक्ट्रिक पदार्थ रखा जाए तो :
𝐶=𝜅𝜖0𝐴d, जहाँ κ = डाइइलेक्ट्रिक नियतांक।
संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा (Energy Stored) :
𝑈=12𝐶𝑉2
संधारित्र का क्षेत्र में ऊर्जा घनत्व (Energy Density) :
𝑢=12𝜖𝐸2
संधारित्र का श्रेणीक्रम (Series Combination) :
1𝐶𝑒𝑞=1/𝐶1+1/𝐶2+⋯Ceq
संधारित्र का समांतर क्रम (Parallel Combination) :
𝐶𝑒𝑞=𝐶1+𝐶2+⋯Ceq
डाइइलेक्ट्रिक ध्रुवण (Polarization) – डाइइलेक्ट्रिक में बाहरी वैद्युत क्षेत्र के कारण आवेशों का पुनर्विन्यास।
डाइइलेक्ट्रिक स्थिरांक (κ > 1) हमेशा 1 से अधिक होता है।
संधारित्र की प्लेटों को जोड़ने पर तत्काल आवेश का आदान-प्रदान होता है।
पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है।
स्थिरवैद्युत ऊर्जा संधारित्र में विद्युत क्षेत्र के रूप में संग्रहित रहती है।
समविभव रेखाएँ कभी एक-दूसरे को काटती नहीं हैं।
धारिता का महत्व – ऊर्जा संचय, रेडियो/टीवी में ट्यूनिंग, फिल्टरिंग आदि।
गॉस प्रमेय (Gauss Theorem) का प्रयोग करके भी विभव और क्षेत्र निकाले जा सकते हैं।
धारिता बढ़ाने के उपाय : प्लेट क्षेत्र बढ़ाना, दूरी घटाना, उच्च डाइइलेक्ट्रिक प्रयोग करना।
संधारित्र को विद्युत परिपथ में बैटरी हटाने पर ऊर्जा प्लेटों पर संग्रहित रहती है।
यदि डाइइलेक्ट्रिक प्लेट बैटरी से जुड़ा हो तो V नियत रहता है, Q बढ़ जाता है।
यदि डाइइलेक्ट्रिक प्लेट बैटरी से हटाकर डाला जाए तो Q नियत रहता है, V घटता है।
संधारित्र को ऊर्जा भंडारण यंत्र (Energy Storage Device) कहा जाता है।
प्राकृतिक संधारित्र – पृथ्वी और बादलों के बीच भी कार्य करता है।
संधारित्र के अंदर विद्युत क्षेत्र समान (Uniform) होता है (Parallel Plate case)।
बिंदु आवेश द्वारा कार्य (Work Done) = q × ΔV।
विभव नकारात्मक या सकारात्मक हो सकता है (संदर्भ बिंदु पर निर्भर करता है)।
पृथ्वी के सापेक्ष धातु पिंड सदैव स्थिर विभव पर रहते हैं।
धारिता एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।
कंडेंसर का प्रयोग कैमरे, UPS, रेडियो आदि में होता है।
संधारित्र में संग्रहित ऊर्जा प्लेटों पर आवेश के कारण होती है।
वैद्युत विभव और क्षेत्र का संबंध – क्षेत्र अधिक होने पर विभव अंतर भी अधिक होगा।